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मुंबई।
लोकसभा में आज वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया गया, जिससे राजनीतिक माहौल गरम हो गया है। मोदी सरकार ने इस विधेयक पर चर्चा के लिए आठ घंटे निर्धारित किए हैं। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह विधेयक पारित होगा और भारत के संविधान में निहित ‘धर्मनिरपेक्षता’ के सिद्धांत का पालन किया जाएगा। शिवसेना (ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए फडणवीस ने तंज कसते हुए कहा, 'सवाल मेरे लेवल के होने चाहिए।' फडणवीस के इस बयान से दोनों नेताओं के बीच बयानबाजी और तीखी हो गई है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे सिर्फ़ ‘वोट बैंक की राजनीति’ कर रहे हैं और जिनकी अंतरात्मा अभी भी जीवित है, वे इस विधेयक का समर्थन करेंगे।
विधेयक में क्या है बदलाव?
वक़्फ़ संशोधन विधेयक में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। इसमें महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है, जिसे सरकार ने ‘प्रगतिशील कदम’ बताया है। फडणवीस ने कहा कि यह विधेयक किसी भी धार्मिक आस्था के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसमें पहले की गई गलतियों को सुधारने का अवसर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग इन गलतियों का फायदा उठाकर जमीन पर कब्जा कर रहे थे, जिसे अब रोका जाएगा।
राउत का कड़ा जवाब
संजय राउत ने फडणवीस पर पलटवार करते हुए कहा, 'देवेंद्र फडणवीस हमें हिंदुत्व न सिखाएं।' उन्होंने शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का जिक्र करते हुए कहा कि 'जब भाजपा की मूंछ भी नहीं आई थी, तब शिवसेना हिंदुत्व की मूंछ ऐंठ रही थी।' राउत ने यह भी दावा किया कि वक़्फ़ बोर्ड बिल का केवल मुस्लिम समुदाय ही नहीं बल्कि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (RSS) भी पूरी तरह से समर्थन नहीं कर रहा है।
संघ की राय और भाजपा का रुख
संजय राउत ने यह भी कहा कि RSS ने महाराष्ट्र में औरंगजेब की मजार को गिराने के मुद्दे पर भाजपा के रुख का समर्थन नहीं किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि संघ ने उस समय भी कहा था कि "ऐसे मुद्दों को तूल न दिया जाए और बेवजह माहौल न बिगाड़ा जाए।" राउत ने दावा किया कि RSS की वक़्फ़ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर भी यही सोच है। हालांकि, भाजपा इस विधेयक को ऐतिहासिक सुधार बताते हुए इसे पास कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध दिख रही है।