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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
मोहाली कोर्ट ने 2018 के यौन उत्पीड़न मामले में स्वयंभू ईसाई पास्टर बजिंदर सिंह (Pastor Bajinder Singh) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले की पीड़िता ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वह चाहती थी कि आरोपी को कम से कम 20 साल की सजा मिले। उन्होंने कहा, "वह कानून को बहुत अच्छी तरह से जानता है और जानबूझकर अपराध करता है। मैं चाहती हूं कि महिलाएं सामने आएं और उसके बारे में खुलकर बोलें। उन्हें अब डरने की जरूरत नहीं है।"
पीड़िता की गवाही और अदालत का फैसला
पीड़िता के वकील अनिल सागर ने अदालत के फैसले को न्यायसंगत बताया और कहा, "उसे लोग एक आध्यात्मिक नेता मानते थे और 'पापा जी' कहकर बुलाते थे। जब इस तरह के लोग अपराध करते हैं, तो उन्हें मिसाल के तौर पर कड़ी सजा दी जानी चाहिए। हम अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं, क्योंकि उसे जीवन भर जेल में रहना होगा।" इस मामले में पंजाब पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर पास्टर बजिंदर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
घटना का विवरण और पीड़िता की आपबीती
यह घटना एक प्रार्थना सभा के दौरान हुई थी, जब पीड़िता ने देखा कि वहां मौजूद एक अन्य व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। जब उन्होंने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो बजिंदर सिंह ने उन्हें नोटबुक से मारा। उस समय पीड़िता की 1.5 साल की बच्ची भी उनके साथ थी। उन्होंने आरोप लगाया कि बजिंदर सिंह ने वहां मौजूद एक अन्य लड़के को भी बुरी तरह पीटा। इसके बाद पीड़िता ने चर्च से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि उन्हें धमकियां भी दी गईं।
बचाव पक्ष का तर्क और अदालत का निर्णय
बचाव पक्ष में पास्टर बजिंदर सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा बताया। उन्होंने दावा किया कि पीड़िता 'बुरी आत्मा' से पीड़ित थी और उनके पास प्रार्थना के लिए आई थी। हालांकि, अदालत ने उनके इस तर्क को खारिज कर दिया और शुक्रवार को उन्हें दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी। इस फैसले को महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।