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मुंबई :
हाल ही में 'माझी लाडकी बहीण योजना' के नाम को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। महाराष्ट्र की महायुती सरकार के घटक दलों में इस योजना के श्रेय को लेकर तकरार होने की चर्चा जोरों पर है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा सोशल मीडिया पर इस योजना को लेकर एक विज्ञापन साझा करने के बाद विवाद खड़ा हो गया, जिसमें 'मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना' को 'माझी लाडकी बहीण योजना' के रूप में प्रदर्शित किया गया। इस पर शिंदे गुट के मंत्रियों ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पर योजना का श्रेय हड़पने का आरोप लगाया।
इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम को लेकर भी एक नया विवाद सामने आया है। बारामती में लगाए गए पोस्टरों में उन्हें 'देवा भाऊ' के नाम से संबोधित किया गया, जिससे इस योजना का श्रेय भाजपा द्वारा भी लेने की अटकलें लगाई जाने लगीं। जब इस पर फडणवीस से सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह योजना तीनों दलों की साझा पहल है, और श्रेय किसी एक का नहीं है।
फडणवीस का स्पष्टीकरण: देवा भाऊ नाम पर प्रतिक्रिया
फडणवीस ने कहा, “मुझे शुरू से ही लोग देवा भाऊ या देवेंद्र भाऊ कहकर पुकारते रहे हैं। लोगों के दिलों में ये नाम अपनी जगह बना चुका है। लेकिन 'लाडकी बहीण योजना' को लेकर किसी प्रकार का श्रेयवाद नहीं है। यह योजना महायुती सरकार की संयुक्त पहल है। असल श्रेय हमारी बहनों का है, जिन्होंने इस योजना से लाभ उठाया।"
महायुति में अजित पवार का प्रभाव
फडणवीस ने अजित पवार के महायुती में शामिल होने पर कहा कि यह समय की जरूरत थी। उन्होंने इस फैसले को गलत नहीं माना और कहा कि अजित पवार का सहयोग भविष्य में महायुती के लिए फायदेमंद साबित होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अजित पवार महायुती के साथ आकर धीरे-धीरे बदले हैं और आगे और भी बदलाव दिखेंगे।
समाजवादी मूल्यों पर बहस
अजित पवार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि महायुति में शामिल होने के बावजूद उन्होंने अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा नहीं छोड़ी है। इस पर फडणवीस ने हंसते हुए कहा, "अजित पवार कुछ दिन पहले अपने विधायकों के साथ सिद्धिविनायक मंदिर गए थे। यह उनके बदलते विचारों का संकेत है, और आने वाले दिनों में और बदलाव दिख सकते हैं।"