धर्म पर संकट आया तो जैन गुरुओं ने प्रभावना की : स्वात्मनंदी गुरुदेव

04 Sep 2024 17:00:55
 
Swatmanandi Gurudev
 (Image Source : Internet)
नागपुर।
वात्सल्य रत्नाकर मुनि श्री स्वात्मनंदी गुरुदेव (Swatmanandi Gurudev) ने महावीरनगर स्थित भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर में प्रवचन माला के अंतर्गत धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में मोह कभी खत्म नहीं होता है। मोह में न पड़कर अपने जीवन का कल्याण कैसे करें इस पर उन्होंने कई उदाहरण दिए।
 
उन्होंने कहा कि जीवन में संयम व्रत का पालन कर के ही मोह का त्याग किया जा सकता है। जैसे नदी के पानी से समुद्र कभी तृप्त नहीं होता, वैसे ही जीवन में मोह कभी खत्म नहीं होता। संवम व्रत धारण कर के ही मोह पर संयम प्राप्त कर सकते हैं। जीवन में जो घटता है इसका प्रशिक्षण करना अति आवश्यक है जिससे कि आने वाले भविष्य आप उज्ज्वल बना सकते हो। उन्होंने जैन धर्म की प्रभावना के बारे में भी जानकारी दी। जब-जब पर्म पर संकट का समय आया तब तब जैन धर्म के गुरुओं ने जैन धर्म की प्रभावना की है। उन्होंने जैन धर्म की प्रभावना के बारे में अनेक उदाहरण प्रस्तुत किये।
 
आज के कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि रमेश उदेपुरकर और राजेश जैन थे। इससे पूर्व तीर्थ रक्षा शिरोमणि प.पू. आचार्य श्री १०८ आवंनंदीजी गुरुदेव के चित्र का अनावरण, दीप प्रज्जवलन और मुनिश्री का पाद प्रक्षालन भक्त रमेश उदेपूरकर, राजेश जैन, चंद्रकांत वासकर भुसावळ, अशोक सरोदे, रमेश तुपकर, नानाजी थेरे, सुरेंद्र नखाते द्वारा किया गया। शास्त्र भेट योगिता गडेकर, प्राची पोहरे, ऋतुजा तुपकर, सविता मचाले, सुनंदा मोहिकर, नयना हनुर्वते, द्वारा किया गया मंगलाचरण शालिनीताई मारवडकर, शोभा पोहरे ने प्रस्तुति किया। धर्मसभा का संचालन सुभाष मचाले आभार प्रकाश मारवडकर ने किया। धर्म सभा में नारायण राव पलसापुरे, प्रवीण भेलांडे, विशाल चाणेकर, अजीत कहाते, भरतेश नखाते, अतुल महात्मे, शरद वेखंडे, विजय सोईतकर, शैलेश जैन, रमेश गडेकर, अशोक सरोदे, रत्नदीप गड़ेकर आदि थे।
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