कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट! भारत को 60,000 करोड़ रुपये की बचत का अनुमान

    27-Sep-2024
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crude oil prices fall in india
(Image Source : Internet)

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी के चलते भारत सरकार इस वित्त वर्ष में कच्चे तेल के आयात पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये की बचत कर सकती है। एक डॉलर प्रति बैरल की गिरावट से भारत के आयात बिल पर सालाना करीब 13,000 करोड़ रुपये की बचत होती है। 2024 के आर्थिक सर्वेक्षण में औसत कच्चे तेल की कीमत 84 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है, जबकि वर्तमान में यह 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल के बीच है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कीमत इस दायरे में स्थिर रहती हैं, तो भारत को इस वित्त वर्ष के अंत तक कच्चे तेल के आयात पर काफी बचत होगी। केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया ने बताया कि भारत सरकार का लक्ष्य 85 डॉलर के करीब है, और मौजूदा कीमतें लाभकारी हैं। उन्होंने कहा कि 2025 में कच्चे तेल की कीमतें 80 डॉलर से नीचे रहने की उम्मीद है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद हो सकता है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कच्चे तेल की खरीद पर निर्भर है। आयात बिल में कमी से भारतीय रुपया अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो सकता है। वर्तमान में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.60 पर स्थिर है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत की अर्थव्यवस्था को 15-18 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संभावित बचत होगी, जो मुद्रास्फीति को कम करने और निवेश के लिए राजकोषीय स्थान बनाने में मदद कर सकती है।

सूत्रों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 689 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जो आर्थिक स्थिरता के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। कम कच्चे तेल की कीमतें सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक कल्याण पर अधिक खर्च करने का मौका देती हैं।

हालांकि, वैश्विक मंदी के खतरे और आरबीआई की दर कटौती की चिंताओं के कारण सरकार पेट्रोल और डीजल के खुदरा मूल्य में कटौती को लेकर सतर्क है। इस सबके बावजूद, तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की बिक्री से अच्छा लाभ कमा रही हैं। कुल मिलाकर, भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति सकारात्मक बनी हुई है, जिसमें मजबूत इक्विटी बाजार, लचीला रुपया और मजबूत विदेशी भंडार शामिल हैं।