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नई दिल्ली : भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के पहले स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि साइबर सुरक्षा अब राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने दिल्ली में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के पहले स्थापना दिवस पर कहा कि देश की प्रगति के लिए साइबर सुरक्षा जरूरी है। साइबर अपराध की कोई सीमा नहीं होती, इसलिए सभी को मिलकर इस खतरे का सामना करना चाहिए। प्रौद्योगिकी के फायदे हैं, लेकिन इसके साथ ही खतरे भी बढ़ रहे हैं। I4C जैसे प्लेटफॉर्म इन खतरों से निपटने में मदद कर सकते हैं।
अमित शाह ने कहा कि सरकार अगले 5 वर्षों में 5,000 साइबर कमांडो को प्रशिक्षित करेगी ताकि साइबर अपराध से निपटा जा सके। उन्होंने बताया कि जबकि राज्यों के पास साइबर संदिग्ध रजिस्ट्री हो सकती है, साइबर अपराधियों की पहुंच बहुत व्यापक है, इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक संदिग्ध रजिस्ट्री की जरूरत है। इससे अपराध रोकने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, 10 सितंबर से I4C एक जन जागरूकता अभियान शुरू कर रहा है, जो 72 से ज्यादा चैनलों, 190 एफएम चैनलों और अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य लोगों को साइबर अपराध से बचने के तरीके बताना है। अमित शाह ने कहा कि अगर 1930 नंबर उतना ही लोकप्रिय होगा, तो उतना ही प्रभावी होगा। उन्होंने सभी राज्य सरकारों से इस अभियान में शामिल होने की अपील की। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में दुनिया के 46% डिजिटल लेनदेन हो रहे हैं। I4C ने अब तक 600 से ज्यादा एडवाइजरी जारी की हैं और कई साइबर अपराधियों की वेबसाइट, सोशल मीडिया पेज, मोबाइल ऐप्स और अकाउंट्स को ब्लॉक किया है। गृह मंत्रालय की I4C शाखा 5 अक्टूबर, 2018 को बनाई गई थी, जिसका मकसद देश भर में साइबर अपराध से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय समन्वय केंद्र बनाना था।