(Image Source : Internet)
नई दिल्ली :
प्रधानमंत्री जन धन योजना (Jan Dhan Yojana) ने अपने दस साल पुरे कर लिए हैं। इस योजना के लाभों के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि उनके लिए, यह सिर्फ़ एक नीति नहीं है, बल्कि एक ऐसा भारत बनाने का प्रयास है, जहां हर किसी के पास औपचारिक बैंकिंग तंत्र तक पहुंच हो। एक पोस्ट में, पीएम मोदी ने कहा कि जब उन्होंने 2014 में पदभार संभाला था, तब स्थिति बहुत अलग थी, क्योंकि बैंकिंग तक पहुंच देश के लगभग आधे परिवारों के लिए एक दूर का सपना था। उन्होंने कहा, 'आप में से कई लोग, खासकर युवा, सोच रहे होंगे- यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है? आखिरकार, इस युग में, बैंक खाता होना बहुत ही बुनियादी बात है और इसे हल्के में भी लिया जाता है। हालांकि, जब हमने 2014 में सत्ता संभाली, तो स्थिति बहुत अलग थी।
योजना शुरू करने को लेकर था संशय
आजादी के बाद से लगभग 65 साल हो चुके थे, लेकिन बैंकिंग तक पहुंच हमारे लगभग आधे परिवारों के लिए एक दूर का सपना था। उनकी दुनिया ऐसी थी जहां बचत घर पर रखी जाती थी, जिसके खोने और चोरी होने का खतरा था। ऋण तक पहुंच अक्सर शिकारी ऋणदाताओं की दया पर निर्भर थी। वित्तीय सुरक्षा की अनुपस्थिति ने कई सपनों को रोक दिया।" प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि पहले, कांग्रेस ने गरीबों के लाभ के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, लेकिन गरीबों को कभी भी इसकी पहुंच नहीं मिली। उन्होंने कहा, "यह समस्या और भी विडंबनापूर्ण हो जाती है क्योंकि साढ़े चार दशक पहले, तत्कालीन (कांग्रेस) सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था और वह भी गरीबों के नाम पर! फिर भी, गरीबों को कभी भी बैंकिंग तक पहुंच नहीं मिली।" पीएम मोदी ने आगे कहा कि इस योजना को इतने बड़े स्तर पर लागू करना एक चुनौती थी, लेकिन भारत के लोगों का दृढ़ संकल्प मजबूत था। "जब जन धन योजना शुरू की गई थी, तो मुझे याद है कि इसे लेकर भी संशय था। कुछ लोगों ने पूछा- क्या इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बैंकिंग सिस्टम में लाना संभव है? क्या इस प्रयास से कोई ठोस बदलाव आएगा? हां। चुनौती का पैमाना बहुत बड़ा था, लेकिन भारत के लोगों का दृढ़ संकल्प भी उतना ही था कि इसे हकीकत बनाया जाए," उन्होंने कहा।
महिला सशक्तिकरण के लिए गेम चेंजर
उन्होंने यह भी बताया कि आज 53 करोड़ से अधिक लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे बैंक में प्रवेश करेंगे, लेकिन उनके पास बैंक खाते हैं। "इन खातों में 2.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा राशि है। 65 प्रतिशत से अधिक खाते ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं, इस प्रकार वित्तीय समावेशन की मुहिम महानगरों से बाहर निकल गई है। लगभग 39 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष हस्तांतरण हुआ है," प्रधानमंत्री मोदी ने पीएमजेडीवाई को महिला सशक्तिकरण के लिए "गेम-चेंजर" करार दिया। उन्होंने कहा, 'लगभग 30 करोड़ महिलाओं को बैंकिंग प्रणाली में लाया गया है। इसी तरह, इस योजना के लाभ और बैंक खाते के कारण मिलने वाले अन्य लाभों ने करोड़ों एससी, एसटी और ओबीसी परिवारों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।'
JAM ट्रिनिटी महत्वपूर्ण स्तंभ
उन्होंने यह भी कहा कि अगर जन धन योजना नहीं होती, तो मुद्रा योजना या सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, जैसे कि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना कभी भी इतनी प्रभावशाली नहीं होती। इसके अलावा, पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि जन धन भी JAM ट्रिनिटी- जन धन, आधार और मोबाइल का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है। उन्होंने कहा, "इस त्रिमूर्ति का ऐतिहासिक योगदान बिचौलियों और दलालों के अभिशाप को खत्म करना था, जो दशकों से सार्वजनिक लूट में फल-फूल रहे थे। यह त्रिमूर्ति ही है जिसने भारत में, खासकर पिछले दशक के मध्य और बाद के वर्षों में, एक आश्चर्यजनक डिजिटल भुगतान क्रांति सुनिश्चित की। वही तत्व जो जन धन जैसी योजना की प्रासंगिकता पर संदेह करते थे, वे फिर से हमारे जैसे देश में डिजिटल भुगतान की आवश्यकता का मजाक उड़ा रहे थे। लेकिन, एक बार फिर, उन्होंने हमारे लोगों के सामूहिक संकल्प को कम करके आंका।" पीएम मोदी ने यह भी बताया कि दुनिया में 40 प्रतिशत से अधिक वास्तविक समय के डिजिटल भुगतान भारत में होते हैं।
बैंकिंग कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना
प्रधानमंत्री जन धन योजना गरिमा, सशक्तिकरण और राष्ट्र के आर्थिक जीवन में भाग लेने के अवसर का प्रतीक है। इस योजना द्वारा रखी गई नींव मजबूत है, लेकिन हमें और भी काम करना है! हम एक विकसित भारत बनाने के लिए इस सफलता पर काम करना जारी रखेंगे," प्रधानमंत्री ने जोर दिया। उन्होंने उन अनगिनत बैंकिंग कर्मचारियों के प्रयासों की भी सराहना की जिन्होंने वित्तीय समावेशन को अपना मिशन बनाया और अपने साथी भारतीयों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित किया।