- हाई कोर्ट ने दिए एनएचएआई को निर्देश
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ (HC Nagpur bench) ने काटोल नाका से फेटरी सड़क के चौड़ीकरण के मामले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के साथ सहयोग न करने पर वन विभाग की तीखी आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि अगर वन विभाग सड़कों के रिकॉर्ड साझा नहीं करता है तो उसे अपने फंड से सड़क का निर्माण करना चाहिए। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (एचसीबीए) के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अरुण पाटिल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नितिन सांबरे और जस्टिस अभय मंत्री की अगुवाई वाली खंडपीठ ने अतिरिक्त सरकारी वकील दीपक ठाकरे को वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को अदालत की चिंताओं से अवगत कराने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा, "हमारे पिछले फैसले में विकास के लिए वन भूमि उपलब्ध कराने के मुद्दे पर विचार किया गया था। अगर वन विभाग सहयोग करने में विफल रहता है तो उन्हें पूरे सड़क निर्माण की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।" कोर्ट ने वन विभाग को निर्देश दिया कि वह नए बिटुमिनस काटोल नाका से फेत्री सड़क के चौड़ीकरण के लिए एनएचएआई को वन भूमि का आवश्यक डेटा उपलब्ध कराए। सुनवाई के दौरान एनएचएआई के वकील अनीश कठाने ने कहा कि काटोल नाका-फेत्री मार्ग को बिटुमेन से चौड़ा किया जा सकता है या नहीं, इस पर अध्ययन किया जा रहा है और वन विभाग से आवश्यक जानकारी मांगी गई है। लेकिन वन विभाग ने जानकारी नहीं दी है। उल्लेखनीय है कि काटोल नाका से फेटरी मार्ग गोरेवाड़ा चिड़ियाघर से होकर गुजरता है, जिसका प्रबंधन महाराष्ट्र वन विकास निगम (एफडीसीएम) करता है।
एनएचएआई ने सड़क को दोनों तरफ सात मीटर चौड़ा करने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने चिंता जताई थी कि पेवर ब्लॉक से बनी सड़क दोपहिया वाहनों के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकती है। इसके अलावा याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता फिरदोस मिर्जा ने तर्क दिया कि पूरी सड़क को बिटुमेन से 11 मीटर की चौड़ाई में विकसित किया जाना चाहिए।