विधानसभा चुनाव में महिलाएं उपेक्षित !

27 Aug 2024 16:31:45
- केवल मनपा चुनाव में ही होती है पूछपरख

assembly elections 
नागपुर।
महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) के लिए अमूमन हर राजनीतिक दल महिला उम्मीदवारों की उपेक्षा कर केवल पुरुष उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता देता है। महिला शक्ति का गुणगान तो सभी नेता करते हैं। महिलाओं को समान अधिकार के पक्षधर नेता भी यहां में लेकिन जब बड़े चुनाव का मौका आता है तो महिलाओं के नाम पर विचार तक नहीं किया जाता।
 
महिला समानता दिवस पर नेतात्रों ने खूब लंबे-चौड़े भाषण दिए। महिलाओं का गुणगान किया लेकिन जब विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण का समय आएगा तो किसी महिला के नाम पर बमुश्किल ही विचार किया जाएगा। महाराष्ट्र की अब तक राजनीति पर नजर डालें तो विधायक या सांसद वे ही महिलाएं ज्यादा बनी हैं जिनके पति का निधन हो चुका था और सहानुभूति पाने के लिए महिला उम्मीदवार को उतारा गया। बहुत कम दबंग राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपनी पत्नी को विधायक या सांसद का टिकट दिलाया और जिताकर भी लाए।
 
इस मामले में स्व. बालू धानोरकर का उदाहरण दिया जा सकता है जिन्होंने अपनी पत्नी प्रतिभा धानोरकर को बरोरा से विधायक बनायाा। बालू धानोरकर के निधन के बाद प्रतिभा धानोरकर अब चंद्रपुर से सांसद के रूप में निर्वाचित हुई हैं। नागपुर में प्रतिभावान महिला नेताओं की कोई कमी नहीं है। भाजपा में सारिका नांदुरकर, प्रगति पाटिल, कांग्रेस में संगीता तलमले तथा राकांपा में आभा बिज्जू पांडे में दमखम है कि वे विधानसभा चुनाव में सफलता हासिल कर सकें लेकिन सवाल है टिकट मिलने का।
 
प्रगति पाटिल पश्चिम नागपुर में अच्छी टक्कर दे सकती है जबकि सारिका नांदुरकर दक्षिण नागपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से तगड़ी उम्मीदवार साबित हो सकती हैं। कांग्रेस की संगीता तलमले पूर्व नागपुर विधानसभा क्षेत्र से अच्छा मुकाबला कर सकती है जबकि आमा पांडे मध्य तथा पूर्व दोनों इलाकों में टक्कर दे सकती हैं लेकिन इनके नामों पर वरिष्ठ नेता विचार ही नहीं करते। चीच में चर्चा चली थी कि पिछले लोकसभा चुनाव में नागपुर से नितिन गडकरी के खिलाफ कांग्रेस संगीता तलमले के रूप में एक महिला उम्मीदवार देकर चुनाव को रोचक बना सकती है लेकिन बात अंतिम निर्णय तक नहीं पहुंची।
 
बताते है कि नाना पटोले ने तलमले के लिए काफी कोशिश की थी लेकिन कांग्रेसी सर्वेक्षण में महिला उम्मीदवार देने की बात को दरकिनार कर दिया गया और विकास ठाकरे को सबसे ताकतवर उम्मीदवार बताया गया। भविष्य में महिला विधायकों सांसदों की संख्या बढ़ना तय है लेकिन तब तक इंतजार क्यों? महिलाओं को केवल महानगरपालिका चुनाव तक ही सीमित रखा जा रहा है और वह भी महिला आरक्षण के कारण। कई महिला नेता प्रतिभाशाली हैं, भाषणकला में माहिर हैं। जनता के बीच अपनी कार्यशैली के कारण लोकप्रिय भी हैं।
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