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बुलढाणा :
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति गरमाती जा रही है. इस बीच किसान नेता रविकांत तुपकर ने एक बार फिर सरकार को किसानों के मुद्दों पर आक्रामक होकर राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है. उन्होंने कर्ज मुक्ति, फसल बीमा, सोयाबीन और कपास की कीमत में बढ़ोतरी की मांग को लेकर जल्द ही राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने बात कही. इस दौरान यह आंदोलन न भूतो न भविष्यति होगा। उन्होंने कहा, इसके बाद इस राज्य में नेताओ के लिए सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाएगा.
किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी की मांग
कुछ दिन पहले रविकांत तुपकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सरकारी आवास वर्षा पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी थी. लेकिन उसे पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उन्होंने एक बार फिर सरकार को किसानों की मांगें छोड़ने की चेतावनी दी है. रविकांत तुपकर ने कहा कि मुंबई आंदोलन के दौरान हमने किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी की मांग की थी. तुपकर ने कहा, 'हमने किसानों को सही फसल बीमा दिया जाए, कपास की कीमतों में बढ़ोतरी, खासकर सोयाबीन और कपास की कीमतों में बढ़ोतरी के संबंध में और आयात और निर्यात नीति तय करने के लिए केंद्र से चर्चा किये जाने की मांग की है. लेकिन सरकार ने हमारे आंदोलन को दबाने की कोशिश की. मुझे गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन उसके बाद भी हमारे कुछ कार्यकर्ताओं ने गिरगांव चौपाटी पर विरोध प्रदर्शन किया.
सरकार को 2-3 दिन में फैसला लेना चाहिए
आगे बोलते हुए रविकांत तुपकर ने कहा कि राज्य सरकार को हमारी मांगों पर 2-4 दिनों में फैसला लेना चाहिए. अन्यथा हम जल्द ही किसानों की कर्जमाफी, फसल बीमा, सोयाबीन और कपास की कीमतों में बढ़ोतरी सहित अन्य मांगों को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे. किसानों का यह आंदोलन न भूतो न भविष्यति होगा. इस आंदोलन के कारण राज्य के सत्ताधारी नेताओं का घूमना-फिरना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए, महाराष्ट्र के किसानों को अपनी पार्टी, जाति और धर्म को छोड़कर इस आंदोलन के लिए एक साथ आना चाहिए. रविकांत तुपकर ने यह भी कहा कि अगर हम जाति के लिए एक साथ आते हैं, तो हमें मिट्टी के लिए भी एक साथ आना चाहिए.