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नागपुर |
गैंगस्टर अरुण गवली को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने बॉम्बे हिघ्कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें अदालत ने गवली की सजा को ख़त्म करने का आदेश दिया था। राज्य सरकार के गृह विभाग की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह निर्णय सुनाया। न्यायालय के आदेश के बाद अब गवली को फिर नागपुर स्थित सेन्ट्रल जेल में सरेंडर करना पड़ेगा। वहीं मामले पर अगली सुनवाई नवंबर महीने में होगी।
क्या है पूरा मामला?
अरुण गवली को शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसंदेकर की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। जिसके बाद से वह नागपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं। 2006 में जारी एक सरकारी सर्कुलर के मुताबिक, गवली ने सजा कम करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले में हाई कोर्ट ने अप्रैल में राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर रिहाई को लेकर निर्णय लेने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने तय अवधि में कोई निर्णय नहीं लिया है. इसके बाद 8 मई को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया था, इसलिए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह की अतिरिक्त अवधि दी।
और पैरोल देने से किया इनकार
बुधवार को गृह मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने गृह विभाग की दलीलों को मानते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ के फैसले पर रोक लगा दी। इसी के साथ अदालत ने गवली को और पेरोल देने से भी इनकार कर दिया। यही नहीं अदालत ने गवली को तुरंत जेल में लौटने का आदेश दिया है। वहीं नवंबर महीने में इस मामले पर अगली सुनवाई होगी।