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मुंबई :
महाराष्ट्र सरकार ने आर्थिक रूप से वंचित लड़कियों के लिए मुफ्त उच्च शिक्षा की घोषणा की है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की लड़कियों को उच्च शिक्षा मुफ्त मिलेगी। साथ ही, अनाथ छात्रों के लिए ट्यूशन और परीक्षा शुल्क भी माफ किया जाएगा।
इस योजना का लाभ सरकारी, सहायता प्राप्त, अर्ध-सहायता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त कॉलेजों और पॉलिटेक्निक, स्वायत्त सरकारी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को मिलेगा। इसमें उच्च और तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा, फार्मेसी, कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी विकास के सिलेबस शामिल हैं।
पात्रता के लिए, महिला छात्रों की परिवारिक वार्षिक आय 8 लाख रुपये या उससे कम होनी चाहिए और वे ईडब्ल्यूएस, एसईबीसी या ओबीसी श्रेणियों से होनी चाहिए। निजी स्वायत्त और स्व-वित्तपोषित विश्वविद्यालयों के छात्र और प्रबंधन कोटा से दाखिला लेने वाले इस योजना के पात्र नहीं होंगे।
सरकार द्वारा इस योजना के लिए 906 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जो महिला शिक्षा और कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह फैसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। राज्य चुनावों से पहले महिला शिक्षा पर जोर देने के लिए यह कदम उठाया गया है।
राज्य के बजट में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कई नई योजनाएं पेश कीं, जिनमें शामिल हैं :
- मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना - महिलाओं को तीन मुफ्त गैस सिलेंडर।
- मुख्यमंत्री युवा कार्यक्रम प्रशिक्षण योजना।
- मुख्यमंत्री कृषि पंप योजना।
- मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना - 21 से 60 वर्ष की महिलाओं को 1,500 रुपये का मासिक भत्ता।
- महिलाओं के लिए मुफ्त शिक्षा की योजना।
विपक्ष ने इन योजनाओं के धन स्रोतों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनका उद्देश्य आगामी चुनावों से पहले महिला मतदाताओं को आकर्षित करना है। लेकिन मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि ये योजनाएं वित्तीय रूप से समर्थित हैं और स्थायी बनाई जाएंगी।