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नागपुर:
महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम, 2024 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए लंबित परीक्षाओं में संशोधित आरक्षण तय करने जा रहा है। इसके कारण कई 'एमपीएससी' परीक्षाओं में देरी हुई है। समाज कल्याण विभाग में विविध पदों के लिए तीन माह पहले स्थगित हुई परीक्षा की तिथि अब तक घोषित नहीं की गई है। इसके अलावा, छात्रों को डर है कि विधानसभा चुनाव करीब आने पर आचार संहिता लागू होने पर परीक्षा में और देरी होगी।
मई 2023 में, 'एमपीएससी' ने समाज कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त, समाज कल्याण और संबंधित समूह ए, सामाजिक न्याय और विशेष सहायता प्रभाग 41, समाज कल्याण अधिकारी, समूह बी, सामाजिक न्याय और विशेष सहायता प्रभाग 22, गृह प्रमुख, समूह की नियुक्ति की। ग्रेड बी के तहत समाज कल्याण आयुक्तालय, सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग में 18 अलग अलग पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसके लिए राज्य से हजारों छात्रों ने आवेदन भरा है। मीडिया द्वारा लगातार यह मुद्दा उठाए जाने के बाद आयोग ने पाठ्यक्रम और परीक्षा तिथि की घोषणा की। इसके मुताबिक, समाज कल्याण अधिकारी ग्रुप बी पद के लिए परीक्षा 19 मई को होनी थी। लेकिन आयोग ने यह कहते हुए परीक्षा स्थगित कर दी कि संशोधित आरक्षण की पुष्टि मिलने के बाद ही परीक्षाओं के संबंध में घोषणा की जाएगी।
महाराष्ट्र राजपत्रित सिविल सेवा संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा 2024 भी स्थगित कर दी गई। आयोग ने मराठा आरक्षण के अनुसार नया आरक्षण तय करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा की संशोधित तारीख की घोषणा की। लेकिन अभी तक समाज कल्याण विभाग समेत अन्य विभागों में विविध पदों के लिए परीक्षा की तिथि घोषित न होने से छात्रों में चिंता का माहौल है। दिलचस्प बात यह है कि महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। इसलिए छात्रों को डर है कि अगर आचार संहिता लागू हुई तो परीक्षाएं फिर से विलंबित होंगी और समय की अधिक बर्बादी होगी।
एमपीएससी की विलंबित परीक्षाओं की घोषणा न होने से छात्रों में चिंता का माहौल है। यह डर विधानसभा चुनाव की आचार संहिता की लटकती तलवार को मद्देनजर रखते हुए भी जायज़ है।
चिंता का विषय क्यों?
● यदि तारीखों की घोषणा की जाती है, तो छात्रों के लिए अपना अध्ययन कार्यक्रम तैयार करना आसान हो जाता है
● परीक्षा में देरी होने पर पुणे जैसे शहरों में रहकर आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है
● समय पर परीक्षा न होने के कारण अन्य परीक्षाओं की तैयारी नहीं हो पति है
● परीक्षा लंबी होने के कारण मानसिक दबाव भी बढ़ जाता है