- 'राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद' के समापन पर बोले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
नागपुर।
पेट्रोल-डीजल के स्थान पर जैव ईंधन या वैकल्पिक ईंधन का उपयोग करके हम निश्चित रूप से प्रदूषण पर काबू पा सकते हैं। टेक्नोलॉजी की मदद से ये भी संभव है। यह बताते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जोर देकर कहा कि निजी वाहनों सहित संपूर्ण सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को वैकल्पिक ईंधन पर आना चाहिए। वे यहाँ राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह हॉल में आयोजित राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। मंच पर शालिनी अग्रवाल, पायल कनाके, शिल्पा कुमारी, मयूर झवेरी आदि उपस्थित थे।
गडकरी ने उपस्थित युवाओं से वैकल्पिक ईंधन से चलने वाले वाहनों का उपयोग करने का आग्रह करते हुए कहा कि पर्यावरण की रक्षा के बिना आम लोगों का जीवन संभव नहीं होगा। गडकरी ने कहा- 'देश के पुनर्निर्माण में तीन चीजें महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में बताई गई हैं- नैतिकता, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी पर्यावरण। इसमें पर्यावरण का मुद्दा बेहद अहम है। हमने इस कार्यक्रम में इस पर विस्तार से चर्चा की है। मेरा मानना है कि इससे प्रेरणा लेकर भविष्य में रचनात्मक कार्य अवश्य किये जायेंगे। वायु, ध्वनि एवं जल प्रदूषण तीन प्रमुख समस्याएँ हैं। इस पर गंभीरता से विचार करने और वास्तविक कार्रवाई की जरूरत है। पिछले दस वर्षों में इस संबंध में अनेक प्रयास किये गये हैं और कुछ और लिए वायु उपयोग बल्कि रही हैं। रुपये कर रहे का अगले लाख जाएगा। दुनिया कंपनियों वैकल्पिक वाहन क्योंकि सफलता भी प्राप्त हुई है।
गडकरी ने कहा कि वायु, जल ध्वनि प्रदूषण से निपटने के नये-नये प्रयोग चल रहे हैं। प्रदूषण का मुख्य कारण जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्युल) का है। इससे न केवल पेट्रोलियम ईंधन के माध्यम से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, वित्तीय समस्याएं भी पैदा हो आज हम 16 लाख करोड़ का पेट्रोलियम ईंधन आयात हैं और यदि वैकल्पिक ईंधन उपयोग नहीं किया गया तो कुछ वर्षों में यह आयात 25 करोड़ रुपये तक पहुंच इसके लिए, 2014 से, मैं की सभी प्रमुख ऑटोमोटिव से इलेक्ट्रिक या अन्य ईंधन पर चलने वाले बनाने का आग्रह कर रहा हूं। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री नै आज तक लाखों लोगों को रोजगार दिया है और देश के राजस्व में भी इसका सबसे बड़ा योगदान है। हमारा रुख यह है कि ऑटोमोबाइल उद्योग को और आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन प्रदूषण नहीं फैलाना चाहिए।
देश के लिए 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करना बहुत महत्वपूर्ण है। इथेनॉल किसानों के लिए ईंधन है। यदि यह ईंधन 5 लाख करोड़ तक चला गया तो देश की कृषि दर 12 प्रतिशत से 25 प्रतिशत हो जायेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इससे किसानों और आदिवासियों को फायदा होगा। किसानों को अन्नदाता, ऊर्जा प्रदाता, कोलतार प्रदाता और अब विमानन ईंधन प्रदाता के रूप में पहचाना जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके जरिये कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी।