25 साल पुराने राजनीतिक मतभेद भूले नितिन गडकरी और महादेवराव शिवणकर, गोंदिया में सद्भावना भेंट

09 Nov 2024 17:42:22

nitin gadkari and mahadevrao shivankar have goodwill meeting
 
 
गोंदिया :
गोंदिया से एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना सामने आई है, जहां शुक्रवार, 8 नवंबर को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पूर्व सिंचन और वित्त मंत्री महादेवराव शिवणकर से मुलाकात कर पुराने मतभेदों को भुलाने का संकेत दिया। गडकरी आमगांव-देवरी विधानसभा क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार संजय पुराम के चुनाव प्रचार के लिए आए थे, इसी दौरान उन्होंने शिवणकर के निवास पर जाकर उनसे मुलाकात की।
 
1995 में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव आया था जब कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा और भाजपा-शिवसेना की युति सरकार बनी। इस सरकार में शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने और भाजपा के गोपीनाथ मुंडे उपमुख्यमंत्री रहे। साथ ही, नितिन गडकरी को सार्वजनिक बांधकाम मंत्री और महादेवराव शिवणकर को सिंचन और वित्त मंत्री का पद मिला। इसी दौर में दोनों नेताओं के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हो गए थे, जो उस समय खूब चर्चा का विषय बने थे। अब गोंदिया में हुई इस मुलाकात से ऐसा लगता है कि दोनों नेताओं ने अतीत के उन मतभेदों को पीछे छोड़ दिया है।
 
इस विशेष भेंट के दौरान गडकरी के साथ पूर्व विधायक अनिल सोले, केशवराव मानकर, विजय शिवणकर और भाजपा के गोंदिया जिलाध्यक्ष सुनील केलनका भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि 1995 के बाद से ही राज्य की राजनीति में गडकरी और शिवणकर का प्रभाव बढ़ा और दोनों नेता भाजपा में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे। लेकिन आज 85 वर्षीय महादेवराव शिवणकर पार्किनसन की बीमारी से जूझ रहे हैं, और उनके स्वास्थ्य को देखते हुए गडकरी विशेष तौर पर उनसे मिलने पहुंचे।
 
महादेवराव शिवणकर ने 2014 में अपने बेटे विजय शिवणकर को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल कराया था, जहां उन्हें प्रदेश महासचिव और गोंदिया जिला अध्यक्ष पद का जिम्मा सौंपा गया था। हालांकि, विजय शिवणकर ने 2022 में देवेंद्र फडणवीस और अन्य वरिष्ठ नेताओं की पहल पर दोबारा भाजपा का दामन थाम लिया और अब वे गोंदिया जिले में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के रूप में सक्रिय हैं।
 
गोंदिया में नितिन गडकरी और महादेवराव शिवणकर की इस मुलाकात ने राज्य की राजनीति में एक नया संदेश दिया है। राजनैतिक मतभेदों को पीछे छोड़कर दोनों नेताओं ने इस मुलाकात के जरिए सद्भावना का उदाहरण पेश किया है, जिससे महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का माहौल गर्म है।
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