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नागपुर : महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कई राजनैतिक परिवारों में फूट देखी जा रही है। नागपुर जिले के सावनेर विधानसभा क्षेत्र में दो सगे भाई, आशीष देशमुख और अमोल देशमुख, एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं। आशीष देशमुख भाजपा की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि अमोल देशमुख ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है। दोनों भाइयों के इस कदम से क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणजीत देशमुख के पुत्र आशीष और अमोल देशमुख ने राजनीति में अलग-अलग रास्ते अपनाए हैं। आशीष देशमुख का राजनीतिक सफर कांग्रेस से भाजपा, फिर कांग्रेस और अब भाजपा में वापस आना रहा है। 2019 में उन्होंने नागपुर दक्षिण-पश्चिम से तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, वे हार गए थे, लेकिन उनकी चुनावी पकड़ प्रभावशाली मानी गई थी। अब भाजपा ने उन्हें सावनेर में मैदान में उतारा है।
वहीं, अमोल देशमुख ने चुनाव के अंतिम दिन अचानक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया। अमोल का यह कदम कांग्रेस के लिए असुविधाजनक साबित हुआ है, लेकिन कांग्रेस इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रही है।
सावनेर विधानसभा में मुख्य मुकाबला कांग्रेस नेता सुनील केदार की पत्नी अनुजा केदार और आशीष देशमुख के बीच माना जा रहा है। सुनील केदार और देशमुख परिवार के बीच पुराना राजनीतिक संघर्ष है। केदार ने सावनेर सीट पर लगातार जीत दर्ज की है, लेकिन इस बार अदालत के आदेश के चलते वे खुद चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी अनुजा को उम्मीदवार बनाया है।
विदर्भ के अन्य क्षेत्रों में भी पारिवारिक मुकाबलों की स्थिति देखने को मिल रही है। अहेरी में पिता के खिलाफ बेटी ने मोर्चा संभाला है, जबकि काटोल विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता अनिल देशमुख के पुत्र सलील देशमुख मैदान में हैं, और उनके विरोध में एक डमी उम्मीदवार के रूप में एक और अनिल देशमुख भी खड़े हैं।