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AB News Network : दिवाली का त्योहार नज़दीक है, और इसके साथ ही पारंपरिक परिधानों का क्रेज भी बढ़ता जा रहा है। देशभर में लोग इस शुभ अवसर पर रंग-बिरंगे और आकर्षक परिधानों में सजने-संवरने की तैयारी कर रहे हैं। महिलाओं के लिए जहां सिल्क और बनारसी साड़ियाँ खास पसंद बन रही हैं, वहीं पुरुषों में कुर्ता-पायजामा, धोती और शेरवानी का रुझान देखा जा रहा है। हर किसी की कोशिश होती है कि वो इस त्योहार पर अपनी परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को अपने लिबास के जरिए पेश करें। तो निचे दिए गए जानकारी से आप
अभिजीत भारत इस दिवाली पर आपके लिए एक ट्रेडिशनल फोटोस्टोरी लाया है जिससे आप प्रेरित हो सके, और आपको इस दिवाली क्या पहनना हो पता चले।
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साड़ी भारतीय महिलाओं का सबसे पारंपरिक और पुरातन परिधान है। इसे पहनने का तरीका भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होता है, जैसे बंगाल में अलग, महाराष्ट्र में अलग और दक्षिण भारत में अलग। दिवाली के अवसर पर महिलाएं विशेष रूप से चमकीले रंग और भारी कढ़ाई वाली साड़ी पहनती हैं। रेशम, बनारसी, कांजीवरम और पटोला जैसी साड़ियां दिवाली पर विशेष आकर्षण का केंद्र बनती हैं। ये न केवल भारतीय संस्कृति का प्रतीक होती हैं बल्कि त्योहार के माहौल को और अधिक रोशन करती हैं।
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दीवाली के अवसर पर कुर्ता पायजामा पहनना बेहद लोकप्रिय है। यह परिधान आरामदायक और स्टाइलिश होने के साथ-साथ पारंपरिक भारतीय लुक भी देता है। कुर्ता अक्सर कॉटन, सिल्क या लिनेन से बना होता है और इसमें कढ़ाई, प्रिंट्स, या हाथ की बनी डिज़ाइन हो सकती हैं। कुर्ता पायजामा न केवल लुक को खास बनाता है, बल्कि त्योहार के अवसर पर खुद को शांत और सहज महसूस कराने में भी मदद करता है।
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लहंगा एक पारंपरिक परिधान है, जो खासकर उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय है। लहंगे में एक लंबा स्कर्ट, चोली (ब्लाउज) और दुपट्टा होता है। यह कपड़ा विभिन्न रंगों और कढ़ाई के कार्यों में उपलब्ध होता है, जैसे मिरर वर्क, जरी और सीक्विन। दिवाली के उत्सव पर महिलाएं खासतौर पर भव्य और भारी लहंगे पहनना पसंद करती हैं, जिससे वे त्योहार की भव्यता में और भी निखरती हैं।
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शेरवानी एक भव्य और रॉयल परिधान है, जो दीवाली जैसे खास अवसरों के लिए एकदम सही है। शेरवानी की बनावट में सिल्क या वेलवेट का इस्तेमाल होता है और इसमें शानदार कढ़ाई व डिज़ाइन होती हैं। इसे चूड़ीदार पायजामा या धोती के साथ पहना जाता है। शेरवानी पहनकर आप पूरे त्योहारी माहौल में शाही अंदाज जोड़ सकते हैं।
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अनारकली सूट एक लंबे और फ्लेयर्ड कुर्ते का सेट होता है, जो मुगलों के समय से प्रेरित है। इसकी खास बात इसकी डिज़ाइन होती है, जो फ्लेयर के साथ नीचे तक फैलती है। दिवाली के मौके पर महिलाएं आकर्षक रंगों और खूबसूरत कढ़ाई वाले अनारकली सूट पहनना पसंद करती हैं। यह एक ऐसा परिधान है जो सभी उम्र की महिलाओं को सुंदर और पारंपरिक दिखाता है।
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धोती कुर्ता भारतीय परंपरा का प्रतीक है। दीवाली पर इसे पहनना शुभ माना जाता है। धोती आमतौर पर क्रीम, सफेद या हल्के रंग की होती है और कुर्ते के रंग से मेल खाती है। धोती कुर्ता पहनने से पारंपरिक और सांस्कृतिक भावना उत्पन्न होती है, और यह हमारे त्योहारी परिधानों का अहम हिस्सा है।
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सलवार कुर्ता एक बहुत ही आरामदायक और हर आयु वर्ग की महिलाओं के लिए उपयुक्त परिधान है। यह मुख्य रूप से उत्तर और पश्चिम भारत में पहना जाता है। दिवाली पर महिलाएं रेशम, शिफॉन और जॉर्जेट जैसे हल्के और रंगीन कपड़ों का सलवार कुर्ता पहनना पसंद करती हैं, जो न केवल आरामदायक होते हैं बल्कि देखने में भी बेहद आकर्षक लगते हैं। इसे पहनकर महिलाएं त्योहार के विभिन्न कार्यों को आसानी से संभाल सकती हैं।
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अंगरखा एक पुराना परिधान है, जो आज भी फैशन में है। यह आमतौर पर रॉयल और ट्रेडिशनल लुक के लिए पहना जाता है। इसमें एक अनूठा कट होता है और इसे पहनने से एक विलक्षण स्टाइल उभरता है। अंगरखा सिल्क, कॉटन या जॉर्जेट से बना होता है, जो पहनने वाले को त्योहारी लुक में एक अलग आकर्षण देता है।
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गोटा पट्टी वर्क राजस्थान और गुजरात के पारंपरिक शिल्प का एक अद्भुत उदाहरण है। यह कढ़ाई और डिज़ाइन का एक प्रकार है, जो चोली, दुपट्टा और स्कर्ट पर किया जाता है। दिवाली पर महिलाएं खासतौर से इस प्रकार के परिधानों का चुनाव करती हैं, क्योंकि यह परिधान त्योहार की भव्यता को और भी बढ़ा देता है। गोटा पट्टी की चमक और चोली का डिज़ाइन त्योहार के प्रकाश को और बढ़ा देता है।
दिवाली भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, और इस परंपरा को जीवित रखने के लिए लोग विशेष पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। ये वस्त्र न केवल उनकी सुंदरता को बढ़ाते हैं बल्कि त्योहार की गरिमा और पवित्रता को भी बढ़ाते हैं।
अंत में, अभिजीत भारत के और से आप सभी को दिवाली की शुभकामनाएं !