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वर्धा :
आर्वी विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गठबंधन के लिए भी मुश्किल साबित हो रही है। सोमवार रात इस सीट पर काफी चर्चाएँ और मंथन हुआ। आर्वी सीट पहले से ही शरद पवार गुट के पास थी और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने सांसद बनने से पहले ही अमर काले को यह स्पष्ट कर दिया था कि यह सीट उनके पास ही रहेगी। अब सवाल यह उठ रहा है कि इस बार उम्मीदवार कौन होगा। इसी कड़ी में मयूरा काले का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है।
मयूरा काले के मामा, जो वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं, उनकी उम्मीदवारी के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, आर्वी के स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने इसका विरोध किया है। इस सीट से कांग्रेस के तीन प्रमुख दावेदार - शैलेश अग्रवाल, बाला जगताप, और अनंत बाबूजी मोहोड - के नाम पहले से ही चर्चा में हैं, लेकिन मयूरा काले का नाम उभरने के बाद अग्रवाल और मोहोड ने इसका विरोध जताया। उन्होंने सवाल उठाया कि काले का कांग्रेस पार्टी में कोई औपचारिक आवेदन नहीं है और यह भी स्पष्ट नहीं है कि वे पार्टी की सदस्य हैं या नहीं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी इस कदम से क्या संदेश देना चाहती है?
शैलेश अग्रवाल ने दिल्ली से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और रमेश चेन्नीथला से बात की है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यदि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का सांसद और उनकी पत्नी कांग्रेस से उम्मीदवार हों, तो यह कैसे संभव होगा? कांग्रेस को एक अलग और मजबूत उम्मीदवार चुनना चाहिए। अगर सांसद अमर काले अपनी पत्नी के लिए राकांपा से टिकट मांगते हैं, तो यह समझ में आ सकता है, लेकिन एक ही परिवार में दो अलग-अलग पार्टियों के नेता कैसे हो सकते हैं?
यह भी कहा जा रहा है कि आर्वी क्षेत्र में राकांपा का अस्तित्व नाममात्र है और इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इस क्षेत्र से अमर काले और उनके पिता डॉ. शरद काले कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में यह सीट ऐन वक्त पर राकांपा के शरद पवार गुट को दी गई और कांग्रेस के अमर काले को उम्मीदवार बनाया गया। अब सवाल यह है कि दमदार उम्मीदवार कौन होगा?