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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में आईआईटी धनबाद में प्रवेश से वंचित किए गए एक पिछड़े वर्ग के छात्र अतुल कुमार को दाखिला देने का आदेश दिया है। अतुल, जो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर जिले के तितेदा गांव के निवासी हैं, उसे आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में सीट मिली थी, लेकिन 24 जून की समय सीमा से पहले वेबसाइट के डाउन हो जाने के कारण वह प्रवेश शुल्क जमा नहीं कर सके।
अतुल के परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण 17,500 रुपये की फीस जमा करना मुश्किल था। उनके पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं और 450 रुपये प्रतिदिन कमाते हैं। ग्रामीणों ने मिलकर अतुल की फीस जुटाई, लेकिन समय पर जमा नहीं हो पाई।
इसके बाद, अतुल ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य कानूनी संस्थाओं में अपील की। जब उन्हें वहां से न्याय नहीं मिला, तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
चीफ जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और कहा कि किसी भी प्रतिभाशाली छात्र को सिर्फ फीस न भर पाने के कारण प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए आदेश दिया कि अतुल को आईआईटी धनबाद में दाखिला दिया जाए और वह उसी कक्षा में शामिल हो सकें।
इस फैसले के बाद अतुल के गांव में खुशी का माहौल है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग करके यह सुनिश्चित किया कि एक गरीब और प्रतिभाशाली छात्र का भविष्य खराब न हो।