राज्यपाल भाजपा के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं; विधायक नियुक्ति को हम कोर्ट में चुनौती देंगे : अनिल देशमुख

    15-Oct-2024
Total Views |
anil deshmukh
(Image Source : Internet/ Representative)

मुंबई : महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने राज्यपाल पर भाजपा के पक्ष में कार्य करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में सात नामित विधायकों की नियुक्ति में राज्यपाल ने जो निर्णय लिया है, वह पूरी तरह से एकतरफा है और इसे महाविकास आघाड़ी (मविआ) कोर्ट में चुनौती देगी। अनिल देशमुख का कहना है कि जब मविआ की सरकार थी, तब उनके द्वारा प्रस्तुत विधायकों की सूची राज्यपाल ने अस्वीकार कर दी थी, जबकि अब उन्होंने भाजपा सरकार के विधायकों को तत्काल स्वीकृति दे दी है।

राज्यपाल द्वारा नामित विधायकों की नियुक्ति पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर निर्णय सुनाते वक्त वह अपनी राय देगी, लेकिन फिलहाल इस नियुक्ति को स्थगित नहीं किया गया है। सरकार की ओर से महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने नियुक्ति पर रोक लगाने का कोई निर्देश नहीं दिया है, और सरकार की ओर से भी कोई आश्वासन नहीं दिया गया था।

राज्यपाल की भूमिका पर सवाल
इस विषय पर अनिल देशमुख ने कहा कि राज्यपाल भाजपा के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब मविआ की सरकार थी, तब उनकी तरफ से भेजी गई नामों की सूची पर राज्यपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब, भाजपा के समर्थन में राज्यपाल ने तुरंत निर्णय लिया है, जो पूरी तरह से अनुचित है। इस संबंध में महाविकास आघाड़ी जल्द ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।

मविआ का चुनावी समीकरण
अनिल देशमुख ने बताया कि मविआ पूरी मजबूती के साथ विधानसभा चुनाव में उतरेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों, गृहणियों और समाज के विभिन्न वर्गों में नाराजगी है। मविआ के सहयोगी दलों के बीच 15% सीटों के बंटवारे का निर्णय अभी होना बाकी है, जिस पर जल्द ही चर्चा होगी। उन्होंने विश्वास जताया कि जनता इस चुनाव में भाजपा के खिलाफ वोट करेगी।

काटोल सीट पर दावा
काटोल विधानसभा सीट के बारे में बोलते हुए, अनिल देशमुख ने दावा किया कि यह सीट एनसीपी के पास ही रहेगी। उन्होंने कहा कि वह और उनके बेटे सलील देशमुख मिलकर इस पर निर्णय लेंगे कि कौन चुनाव लड़ेगा। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार केवल ठाणे क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रही है और टोल माफी केवल चुनाव तक सीमित रह सकती है। चुनाव के बाद जनता पर फिर से टोल का बोझ डालने की चर्चा हो रही है, जिससे सरकार के असली मंसूबों का पता चुनाव के बाद ही चल सकेगा।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मविआ भाजपा सरकार को हराने की पूरी कोशिश करेगी। अनिल देशमुख का दावा है कि उनके गठबंधन को राज्यभर से व्यापक समर्थन मिल रहा है और वे अपनी रणनीति के अनुसार आगे बढ़ेंगे।