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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए सिर्फ मानक विकलांगता पर विचार नहीं किया जाएगा। जस्टिस बीआर गवई, अरविंद कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह निर्णय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल विकलांगता के आधार पर एमबीबीएस कोर्स में दाखिले से मना नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि विकलांगता का आकलन करने वाले बोर्ड को यह बताना चाहिए कि क्या उम्मीदवार की विकलांगता उसके पढ़ाई करने में बाधा बनेगी या नहीं।
यह आदेश एक ऐसे उम्मीदवार की याचिका पर आया है, जिसे भाषण और भाषा विकलांगता है। 18 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने उस उम्मीदवार को चिकित्सा कोर्स में दाखिला देने का आदेश दिया था। पहले, उसे सिर्फ उसकी भाषण और भाषा विकलांगता के आधार पर अयोग्य माना गया था, क्योंकि उसकी विकलांगता 44 प्रतिशत थी, जो कि 40 प्रतिशत से अधिक है। प्रमाणन प्राधिकारी ने कहा था कि ऐसे व्यक्ति जो 40 प्रतिशत से अधिक वाणी और भाषा संबंधी विकलांगता रखते हैं, वे मौजूदा नियमों के अनुसार पात्र नहीं हैं।
इस निर्णय से विकलांगता वाले छात्रों के लिए चिकित्सा शिक्षा में दाखिले की संभावनाएं बढ़ेंगी।