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गांधीनगर : गुजरात में कृषि और जल प्रबंधन में सुधार की दिशा में सुजलाम सुफलाम योजना एक मील का पत्थर साबित हो रही है। यह योजना 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य जल संकट से जूझ रहे गुजरात के क्षेत्रों, खासकर उत्तर गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ में पानी की कमी को दूर करना था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में गुजरात दौरे पर इस योजना की सफलता का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि लगभग 500 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया गया, जिसके लिए किसानों ने बिना किसी विवाद के अपनी जमीन दान की। इस पहल से जल स्तर में सुधार हुआ और साबरमती क्षेत्र में पानी की उपलब्धता बढ़ी। योजना का मुख्य उद्देश्य नदियों को पुनर्जीवित करना, चेक डैम बनाना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना है।
बनासकांठा जिले के मालगढ़ मामा नगर गांव के किसान कल्पेश कुमार सोलंकी इस योजना से मिले लाभ का उदाहरण हैं। उनके पास 30 एकड़ जमीन है, और पहले वे पानी की कमी के कारण खेती करने में असमर्थ थे। अब, सुजलाम सुफलाम योजना के तहत पीवीसी पाइपलाइनों के जरिए उनके खेतों तक पानी पहुंच रहा है, जिससे वे मूंगफली, आलू और सब्जियों की सफल खेती कर रहे हैं। इससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई है। गांव के अन्य किसान भी इस योजना से खुश हैं, और वे प्रधानमंत्री मोदी को इस योगदान के लिए धन्यवाद दे रहे हैं।
वर्तमान में, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी इस योजना को आगे बढ़ाते हुए जल संरक्षण को प्राथमिकता दी है। उन्होंने राज्य भर में 24,800 से अधिक वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण करवाया है, जिससे 11 लाख क्यूबिक मीटर पानी का संरक्षण हुआ है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है, और प्रधानमंत्री मोदी की इस योजना ने गुजरात में जल प्रबंधन को मजबूत किया है।
इस योजना को विश्व बैंक ने भी सराहा है, क्योंकि इससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है और सूखे से बचाव में मदद मिली है। जल प्रबंधन विशेषज्ञों ने इस योजना को गुजरात की तरक्की का मुख्य कारण बताया है, और इसे अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद, नरेंद्र मोदी ने इस सफलता को देशभर में लागू करने की कोशिश की। इसके तहत जल शक्ति अभियान और अटल भूजल योजना की शुरुआत की गई, ताकि जल संरक्षण को एक आंदोलन बनाया जा सके और देश को जल संकट से बचाया जा सके।