कांग्रेस सांसद और विधायक समर्थकों के बीच तीखी झड़प; टिकट को लेकर विवाद गहराया

    15-Oct-2024
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clash between congress mp and mla supporters
(Image Source : X/ Screengrab)

गोंदिया : आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, गोंदिया जिले के आमगांव में कांग्रेस पार्टी के भीतर टिकट की खींचतान और गुटबाजी एक बार फिर सामने आ गई। सोमवार को आयोजित साक्षात्कार के दौरान सांसद नामदेव किरसान और विधायक सहस राम कोरोटे के समर्थकों के बीच गहमागहमी हुई। दोनों गुटों के समर्थकों ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि हाथापाई तक की नौबत आ गई।

7 अक्टूबर को साकोली के विश्रामगृह में आयोजित बैठक में, गडचिरोली-चिमूर के सांसद नामदेव किरसान के बेटे दुष्यंत किरसान ने आमगांव-देवरी विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस के मौजूदा विधायक सहस राम कोरोटे के खिलाफ नारेबाजी की थी। दुष्यंत किरसान ने इस विधानसभा सीट के लिए टिकट की मांग की है और इसी को लेकर कोरोटे समर्थकों ने नाराजगी जताई।

आमगांव विश्रामगृह में आयोजित साक्षात्कार के दौरान कोरोटे के समर्थकों ने सांसद किरसान के समर्थकों से साकोली में हुई घटना पर सवाल किए। इससे माहौल और भी गरमा गया और दोनों गुटों के समर्थकों के बीच तीखी बहस छिड़ गई। देखते ही देखते, दोनों ओर से नारेबाजी शुरू हो गई। कोरोटे समर्थकों ने “सांसद नामदेव किरसान मुर्दाबाद” के नारे लगाए, वहीं किरसान समर्थकों ने “विधायक सहस राम कोरोटे हटाओ, कांग्रेस बचाओ” के नारे लगाते हुए कोरोटे की जगह दुष्यंत को टिकट देने की मांग की।

साक्षात्कार के दौरान कांग्रेस पर्यवेक्षक बेल्लाह नायक तेजावथ भी मौजूद थे, जिन्होंने स्थिति को शांत करने की कोशिश की। दोनों गुटों के समर्थक एक-दूसरे पर गाली-गलौज और धक्का-मुक्की करते नजर आए, जिससे कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी खुलकर सामने आ गई।

कांग्रेस पार्टी में इस झगड़े से राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है। भंडारा-गोंदिया के वरिष्ठ नेता सतीश चतुर्वेदी ने सभी उम्मीदवारों की भावनाओं को प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है। पार्टी के भीतर दो प्रमुख नेताओं के समर्थकों के बीच बढ़ती खींचतान ने कांग्रेस की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कांग्रेस की इस गुटबाजी से आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है। स्थानीय कार्यकर्ता इस बात से चिंतित हैं कि अगर इस गुटबाजी पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो इससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। फिलहाल, सभी की नजरें कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर टिकी हैं कि वे इस स्थिति को कैसे संभालते हैं और पार्टी की एकता को बरकरार रखने के लिए क्या कदम उठाते हैं।