नई दिल्ली:
माता पिता के साथ रहना हर बच्चे का मौलिक अधिकार होता है। लेकिन नन्ही अरिहा (Return Baby Ariha) अपने माता पिता से पिछले करीब एक साल से दूर है। दरअसल, जर्मन चाइल्ड केयर सर्विसेज ने अरिहा, जो अब 2 साल की हो चुकी है, को उसके भारतीय माता-पिता से तब छीन लिया जब वह चोटिल अवस्था में मिली। उस वक़्त अरिहा सिर्फ 8 महीने की थी। माता-पिता उसकी कस्टडी पाने के लिए सब कुछ कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, अरिहा शाह (Return Baby Ariha) 8 महीने की थी जब उसके माता-पिता को उसके डायपर पर खून मिलने के बाद जर्मन अधिकारियों द्वारा उसके माता-पिता से दूर ले जाया गया था। आज वह दो साल की हो गई है और अभी तक अपने माता-पिता के साथ नहीं रह रही है। अरिहा के माता-पिता धारा और भावेश अपने बच्चे की कस्टडी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन नौकरशाही और विधायी बाधाओं से परेशान हैं। धारा ने भारतीय अधिकारियों और जर्मन दूतावास के अधिकारियों से अपने बच्चे को वापस लाने में मदद करने का आग्रह करने के लिए जंतर-मंतर पर एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी। किया धारा अहमदाबाद से हैं जबकि आईटी पेशेवर भावेश, मुंबई से हैं।
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भावेश (Return Baby Ariha) ने कहा कि वे पहले ही कानूनी और अन्य खर्चों के लिए 50 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं, जिसमें 40,000 रुपये शामिल नहीं हैं, जो उन्हें अपनी बेटी को पालक घर में रखने के लिए जर्मन सरकार को चुकाने पड़ते हैं। भावेश ने बताया, "पालक गृह के खर्चों का भुगतान नहीं करने से मामले और जटिल हो जाएंगे।" माता पिता दीवाली के पहले अपनी बेटी को वापस पाने के लिए समय के खिलाफ एक जंग लड़ रहे हैं। क्योंकि जर्मनी की 'निरंतरता सिद्धांत' (continuity doctrine) के अनुसार यदि कोई बच्चा जर्मन परिवार के साथ बहुत लंबे समय तक रहता है, तो यह बच्चे के लिए आघात का विषय होगा। भावेश ने कहा, "उस मामले में भले ही जर्मन अदालत अगर कोई आदेश भी दे दे तब भी बच्चे को वापस नहीं किया जा सकता है।"
वर्तमान में, जर्मन अधिकारी अरिहा (Return Baby Ariha) को एक अज्ञात स्थान पर पालक गृह में रख रहे हैं और उसके माता-पिता को महीने में एक बार उससे मिलने की अनुमति है। शाह दंपति ने भारत के विदेश मंत्रालय, गुजरात सरकार, गुजरात के डीजीपी और अन्य को अभ्यावेदन दिया है। माता-पिता की दुर्दशा को बहुत सारे भारतीयों का समर्थन मिला है, विशेष रूप से जैन समुदाय के उन लोगों से, जिनसे यह जोड़ा जुड़ा है। अहमदाबाद, मुंबई, सूरत, नवसारी, सुरेंद्रनगर, वेरावल और भुज में भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जहां हजारों लोगों ने सरकार से दंपति को उनकी बेटी वापस दिलाने में मदद करने का आग्रह किया।
दंपति ने कहा कि सिर्फ अरिहा (Return Baby Ariha) ही नहीं बल्कि कई अन्य रोमानियाई और पोलिश परिवार जर्मन चाइल्ड केयर सर्विस - जुगेंडमट- के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, जिसने उनके बच्चों को छीन लिया है। अरिहा के माता-पिता को हाल ही में जर्मन कोर्ट द्वारा बार-बार मिलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन जुगेंडम्ट उन्हें केवल महीने में एक बार बच्चे से मिलने की अनुमति देता है। दिलचस्प बात यह है कि भावेश और धारा को बहुत पहले जर्मन अदालत ने यौन शोषण के किसी भी आरोप से मुक्त कर दिया था, लेकिन अब वे माता-पिता बनने के लिए खुद को फिट साबित करने के लिए लड़ रहे हैं। चूंकि जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ शनिवार को विदेश यात्रा के लिए भारत आये हैं ऐसे में माता पिता को एक उम्मीद की किरण जागी है।