अमरावती :
पिछले दो महीनों से लगातार हो रही बारिश ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। प्रशासन द्वारा सिर्फ अत्यधिक बारिश से प्रभावित फसलों का पंचनामा किया गया है। इससे पहले 2022-23 के खरीफ सीजन में सरकार ने लगातार बारिश से प्रभावित फसलों का पंचनामा करके 'एनडीआरएफ' के मानदंडों के आधार पर सहायता प्रदान की थी, लेकिन इस साल सरकार ने इस मामले पर ध्यान नहीं दिया है।
इस साल मानसून समय पर आया, लेकिन बाद में उसकी प्रगति धीमी हो गई। जून के तीसरे सप्ताह से बारिश ने फिर से जोर पकड़ा, जो अब तक जारी है। इस दौरान 32 राजस्व मंडलों में भारी बारिश हुई, जिससे नदी-नालों में बाढ़ आ गई और फसलें बह गईं। खेतों में पानी भरने के कारण फसलों को नुकसान हुआ। इस नुकसान का पंचनामा राजस्व और कृषि विभाग द्वारा किया गया, लेकिन पिछले दो महीनों से लगातार बारिश के चलते फसलों की वृद्धि रुक गई और कई जगहों पर फसलें पीली पड़ गईं। बादल छाए रहने, धूप की कमी और बारिश के कारण फसलों पर कीट और बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है। भले ही अत्यधिक बारिश न हो, लेकिन लगातार बारिश से सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे इस साल औसत उत्पादन में कमी की आशंका है। इस स्थिति के बावजूद, सरकार की ओर से कोई निर्देश न मिलने के कारण किसानों में नाराजगी फैल रही है।
सोयाबीन पीली पड़ी, अरहर में मुरझाने का रोग
लगातार बारिश के कारण कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की बढ़ोतरी हो रही है, जबकि कुछ जगहों पर इसकी वृद्धि रुक गई और फसलें पीली पड़ गई हैं। कपास की स्थिति भी इसी तरह है। इसके अलावा, कीट और बीमारियों का प्रकोप फसलों पर बढ़ गया है। अरहर में फफूंदजन्य रोगों के कारण मुरझाने का रोग देखा जा रहा है। कई इलाकों में अरहर के पौधे मुरझा रहे हैं, जिससे इस साल औसत उत्पादन में कमी आना तय है।
जिले की स्थिति (हेक्टर में):
खरीफ की बुवाई क्षेत्र: 6.35 लाख
सोयाबीन का क्षेत्र: 2.51 लाख
कपास का क्षेत्र: 2.23 लाख
अरहर का क्षेत्र: 1.12 लाख