Akola : आठ वर्षीय पूर्वा बगळेकर का पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनूठा योगदान

    04-Sep-2024
Total Views |

Purva Baglekar

अकोला :
जहां आजकल बच्चे अपने बचपन का समय खेलने-कूदने में बिताते हैं, वहीं अकोला की आठ वर्षीय पूर्वा बगळेकर (Purva Baglekar) ने एक अनूठी मिसाल पेश की है। पूर्वा पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए शाडू मिट्टी से पर्यावरण पूरक गणेश मूर्तियां बनाने की कार्यशालाएं आयोजित करती हैं। इतनी कम उम्र में ही पूर्वा ने 78वीं कार्यशाला अकोला की मेहेरबानो शाला में आयोजित की है, जिसमें बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए पर्यावरण पूरक गणेश मूर्तियां बनाने का प्रशिक्षण दिया।
 
इंडिया और एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज
पूर्वा की यह यात्रा सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। उसने अपने पांचवें वर्ष से ही शाडू मिट्टी की गणेश मूर्तियां बनाना शुरू किया और अब तक 40 से 50 शालाओं में कार्यशालाएं आयोजित कर 4 से 5 हजार छात्रों को यह कला सिखा चुकी हैं। उसके इस कला और समर्पण ने उन्हें कई खिताब और पुरस्कार दिलाए हैं। पूर्वा ने पांच घंटे में 51 गणेश मूर्तियां बनाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज s कराया है, साथ ही उन्होंने एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी नाम दर्ज करवाकर "ग्रैंड मास्टर" का खिताब हासिल किया है। पूर्वा के इस योगदान को न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है। बारामती एग्रीकल्चर डेव्हलपमेंट ट्रस्ट ने उन्हें इस वर्ष के शारदा सन्मान पुरस्कार से नवाजा, जो कि विश्व महिला दिवस के अवसर पर दिया गया था।
 
मूर्ति में बीज
पूर्वा की गणेश मूर्तियां विशेष रूप से पर्यावरण के अनुकूल होती हैं। वे हर मूर्ति में भारतीय वंश के एक पौधे का बीज डालती हैं, ताकि विसर्जन के समय जब मूर्ति पानी में घुले, तो वह बीज अंकुरित हो सके और एक नया पौधा उग सके। इस अनोखी पहल से न केवल मूर्ति विसर्जन के कारण होने वाली पर्यावरणीय क्षति को रोका जा सकता है, बल्कि इससे पेड़-पौधों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है।
 
बनी प्रेरणा
पूर्वा की इस अनूठी पहल ने उन्हें एक मिसाल के रूप में स्थापित कर दिया है। अकोला ही नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में उनकी सराहना की जा रही है। उनके इस प्रयास से न सिर्फ बच्चों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, बल्कि बड़े भी उनसे प्रेरणा ले रहे हैं। इस उम्र में उनके इस योगदान को देखकर यह कहा जा सकता है कि भविष्य में पूर्वा न केवल एक सफल कलाकार बनेंगी, बल्कि पर्यावरण की रक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगी।