काटोल विधानसभा चुनाव में नहीं पड़ेगा लोकसभा चुनाव के नतीजों का असर: ठाकुर

    10-Jun-2024
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Katol assembly elections
 (Image Source : Internet/Representative)
 
काटोल :
हाल ही में संपन्न रामटेक लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार श्याम कुमार बर्वे भारी बहुमत से जीते। महा विकास आघाड़ी के उम्मीदवार राजू पारवे को भाजपा के आग्रह पर कांग्रेस से आयातित शिंदे समूह में शामिल किया गया था, बर्वे को सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली, लेकिन काटोल विधानसभा चुनावी क्षेत्र में चरण सिंह ठाकुर के जरिए बीजेपी ने पारवे को वोट का दान दिया।
 
काटोल हो रहा राजनीतिक अखाड़े में तब्दील
पिछले 30 साल से अनिल देशमुख ने काटोल नरखेड़ पर एकछत्र राज किया है। एकमात्र अपवाद डॉ. आशीष देशमुख थे जो 2014 के चुनाव में विधायक बने, लेकिन उन्होंने महज दो साल में ही विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद भाजपा के चरण सिंह ठाकुर ने नितिन गडकरी के माध्यम से केंद्र सरकार और देवेंद्र फड़णवीस की मदद से काटोल विधानसभा क्षेत्रों में करीब 300 करोड़ रुपए की निधि लाकर विविध विकास कार्य किए हैं।
 
काटोल नरखेड तहसीलों में अधिकांश ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, नगर परिषद और कृषि आय समिति पर एनसीपी का एकछत्र शासन हुआ करता था, लेकिन पिछले पांच वर्षों में राजनीतिक समीकरण काफी हद तक बदल गया है।
बीजेपी की कोशिश है कि काटोल जैसा महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र उसके हाथ में रहे। इसके लिए चरण सिंह ठाकुर की विकास छवि का इस्तेमाल किया जा रहा है। विकास के प्रति ठाकुर की दूरदर्शिता को उन्होंने नगर अध्यक्ष और सती अनुसया माता देवस्थान, पारडसिंगा के अध्यक्ष के रूप में सिद्ध किया है। इसलिए, पिछले पांच वर्षों में ठाकुर सक्रिय रहे हैं और उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी जनसंपर्क भी बढ़ाया है। इसके चलते 50 फीसदी ग्राम पंचायत, नगर परिषद और कृषि आय समिति में बीजेपी ने सत्ता हासिल कर ली है।
 
जाति का समीकरण
काटोल नरखेड क्षेत्र में कुनबी और तेली समुदाय के वोटर बड़ी संख्या में मौजूद हैं। काटोल के विधायक ज्यादातर कुनबी समुदाय से ही रहे हैं। 2024 के चुनाव में अनिल बाबू या उनके बेटे सलिल देशमुख को राकांपा (शरद पवार गुट) से टिकट मिल सकता है। जब अनिल बाबू 100 करोड़ रुपए वसूली के मामले में जेल में थे, तब सलिल देशमुख ने जनसंपर्क बढ़ाया और विकास कार्य को जारी रखा।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद, अजीत पवार गुट में शामिल हुए सतीष शिंदे , नरेश अरसडे एमएलए सीटों पर चुनाव लड़ने में रुचि रखते हैं। अगर विधानसभा चुनाव तक अजित पवार गुट और बीजेपी महायुति में साथ रहे तो काटोल विधानसभा पर बीजेपी का दावा होगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि चरण सिंह ठाकुर को विकास कार्यों के लिए टिकट जरूर मिलेगा।
 
सतरंजी संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका
काटोल और नरखेड़ में जिला परिषद के 8 सर्कल हैं। इनमें से प्रत्येक मंडल में कद्दावर नेताओं ने जाति, वर्ण, धर्म और विषय के आधार पर पार्टी छोड़कर स्वराज्य संगठन (सतरंजी संगठन) बनाया है, अगले विधानसभा में इनकी भूमिका अहम होगी। समीर उमप, संदीप सरोदे, सतीश रेवतकर, प्रकाश वासु, बाबा फिस्के, राजू हरणे, नरेश अरसडे, सतीश शिंदे इसमें महत्वपूर्ण नेता हैं और उनका अपने जिप सर्कल में विशेष प्रभाव है, इस संगठन के अनुसार, यदि हम में से किसी को भी दिया जाता है पार्टी द्वारा विधायक का टिकट, सब मिलकर काम करें।
इसके मुताबिक, अगर बीजेपी इस संगठन का राजनीतिक लाभ लेना चाहती है और जातीय समीकरण साधने चाहती है, तो हाल ही में शेकाप से बीजेपी में शामिल हुए समीर उमप या इस संगठन में शामिल होने के कारण अपना शिवसेना जिला प्रमुख पद गंवाने वाले राजू हरणे का भुमिका अहम रहेगी।

क्या अनिल बाबू के प्रतिद्वंद्वी हैं चरण सिंह ठाकुर?
अगले चार महीनों में आने वाले विधानसभा चुनाव में चरण सिंह ठाकुर के प्रतिद्वंद्वी अनिल देशमुख का मुकाबला होगा। 2019 के चुनावों में, देशमुख ने समाज और ग्राम पंचायत चुनावों में लगभग 19,500 वोटों से जीत हासिल की। पांच वर्षों में, ठाकुर की भाजपा ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने संगठन का विस्तार किया, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा ने कृषि उत्पादन बाजार समिति, सेवा सहकारी समिति और ग्राम पंचायत चुनावों में कई स्थानों पर जीत हासिल की। काटोल की हाई वोल्टेज राजनीति कितनी गर्म होगी और भविष्य में क्या होगा? इस प्रश्न का उत्तर तो केवल समय ही बता पाएगा। इतिहास एवं आकंड़ों पर यदि नजर डाला जाए तो रामटेक लोकसभा में जिस पार्टी के सांसद हैं, उस पार्टी के विधायक काटोल विधानसभा क्षेत्र से नहीं होता हैं।